एकलिंगजी मंदिर उदयपुर | कैलाशपुरी एकलिंग जी का मंदिर | Ekling ji Mandir Rajasthan | एकलिंगजी महादेव मंदिर चित्तौड़गढ़ राजस्थान

मेवाड़ के अधिपती श्री एकलिंग जी का मंदिर:

 यह मेवाड़ के अधिपती एकलिंग जी का मंदिर है जनश्रुति है की इसका निर्माण बापा रावल ने 734 ई . में करवाया था यहाँ एकलिंग जी की चतुर्मुखी काले पत्थर की मोहक प्रतीमा है ।

मेवाड़ महाराणा इनके दीवान कहलाते है शिवरात्री को यहाँ विशाल मेंला लगता है चैत्र की अमावस्या को प्रतीवर्ष ध्वजा चढाने की रस्म पुरी की जाती है तथा हिरो का नाग चढाया जाता है इस मंदिर में हारीत ऋषि की मूर्ति भी स्थापित है । इस मंदिर की एक विचित्र कहानी है । मेवाड के महाराणा और राव राजपूतो के मध्य एकलिंग जी की इस भव्य मुर्ति पर मुकुट चढाने की बात पर विवाद हुआ । जिसमे एक मैत्री समझौता हुआ और मेवाड़ महाराणा को स्वर्ण मुकुट तथा राव - राजपूतो को चांदी का मुकुट चढाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।


Ekling ji Mandir Rajasthan
Ekling ji Udaipur


भगवान शिव श्री एकलिंग महादेव के रुप मे मेवाड़ राज्य के महाराजाओ और अन्य राजपुतो के आराध्य देव रहे है । मेवाड़ के राजा श्री एकलिंग जी के प्रतिनिधी के रुप मे कार्य करते थे । इसीलिए मेवाड के महाराणा को दिवाण जी कहा जाता है । ये राजा किसी भी युध्द मे जाने से पहले एकलिंग जी की पुजा अर्चना कर इनसे आशीर्वाद लेते थे ।

एकलिंग जी महादेव का इतिहास:

 इतिहास बताता है कि एकलिंग जी को ही साक्षी मानकर मेवाड़ के राणाओ ने अनेक बार यहां ऐतिहासिक महत्व के प्रण लिए थे। एकलिंग जी का यह भव्य मंदिर चारों ओर से ऊंचे परकोटे से घिरा हुआ है। इस परिसर में कुल 107 मंदिर है मुख्य मंदिर में एकलिंग जी की चार सिरो वाली भव्य मूर्ति स्थापित है। चार मुख की महादेव भगवान शिव की प्रतिमा चारों दिशाओं में देखती हैं इसमें विष्णु उत्तर में, सूर्य पूर्व में, और ब्रह्मा पश्चिम का प्रतिनिधित्व करते हैं। शिव के वाहन नंदी बैल की एक पीतल की प्रतिमा मंदिर के मुख्य द्वार पर स्थापित है। मंदिर में परिवार के साथ भगवान शिव का चित्र देखते ही बनता है। यमुना और सरस्वती की मूर्तियां भी मंदिर में उपस्थित है।

 इन छवियों के बीच में यहां एक शिवलिंग चांदी के सांप से घिरा हुआ है। मंदिर के चांदी के दरवाजों पर भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की छवियां है। नृत्य करती नारियों की मूर्तियां भी देखने योग्य है। गणेश जी का मंदिर, अंबा माता का मंदिर और कालिका मंदिर इस मंदिर के पास ही स्थित है। भगवान श्री एकलिंग जी मन्दिर का निर्माण बप्पा रावल ने आठवीं शताब्दी के लगभग कराया था। उसके बाद यह मंदिर तोड़ दिया गया जिसे बाद में उदयपुर के महाराणा मोकल ने इसका जीर्णोद्धार करवाया और वर्तमान मंदिर के नए स्वरूप का संपूर्ण श्रेय महाराणा रायमल को है एकलिंग जी मंदिर की काले संगमरमर से निर्मित महादेव की चतुर्मुखी प्रतिमा की स्थापना महाराणा रायमल के द्वारा कि गई थी।


Ekling ji Udaipur Rajasthan
Eking ji Mandir Udaipur

श्री एकलिंग जी मंदिर से 4 किलोमीटर दूर सहस्रबाहु मंदिर प्रसिद्ध है। यह मंदिर खंडित रूप में है। यह मंदिर ओरंगजेब आक्रमण के समय ध्वस्त हो गया। जिस कारण से इस मंदिर में बनी देवी देवताओं की मूर्तियां टूटे हुए रूप में दिखती है। यह मंदिर वर्तमान में सांस बहू मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। नागदा में स्थित यह मंदिर सोलंकी ( महागुरजर शैली ) कला का प्रतीक है। 

एकलिंग जी मंदिर में स्थापित अन्य मंदिर:

इस मंदिर में विभिन्न देवताओं के मंदिर का निर्माण विभिन्न लोगों द्वारा किया गया है। मंदिर के प्रांगण में गिरधर गोपाल जी का मंदिर भी स्थित है इसका निर्माण महाराणा कुंभा ने करवाया था ऐसा माना जाता कि श्री कृष्ण की अनन्य भक्त मीराबाई मंदिर में प्रभु की भक्ति आराधना में लीन रहती थी। इसीलिए इस मंदिर को मीरा बाई मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में दो सुंदर तालाब भी है- पार्वती कुंड और तुलसी कुंड। मंदिर के पश्चिम दिशा की ओर मेवाड़ के गुरुओं की समाधि भी दर्शनीय है। शिवलिंग भगवान शिव का ही रूप है जिस पर चांदी का सांप लोगों को मुख्य आकर्षण के तौर पर नजर आता है।


एकलिंग जी मंदिर की उदयपुर से दुरी:

 एकलिंग जी महादेव मंदिर कि उदयपुर शहर से दूरी लगभग 24 किलोमीटर है। एकलिंग जी मंदिर का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन खेमली रेलवे स्टेशन और देबारी रेलवे स्टेशन है। मंदिर का सबसे निकटतम रोड मार्ग उदयपुर देलवाडा मार्ग से जुड़ा है। इसके अलावा एकलिंग जी मंदिर का सबसे निकटतम हवाई अड्डा महाराणा प्रताप हवाई अड्डा उदयपुर एयरपोर्ट है। 

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